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14) झर बेरी के बेर ( यादों के झरोके से )



शीर्षक = झर बेरी के बेर



एक बार फिर यादों के झरोखे से एक नयी याद को आप सब के समक्ष रखने जा रहा हूँ, उम्मीद करता हूँ आपको जरूर पसंद आएगी 


सर्दी का मौसम हो और खट्टे मीठे बेर मिल जाए तो सर्दी का आंनद ही आ जाता है , जहाँ ठण्ड से दाँत किट किट होते है  वही बेरो के शौकीन खट्टे मीठे बेर खा कर उन किट किट होते दांतो को और तकलीफ देते है 


तो आइये लेकर चलते है  हम आपको  हमारी उस झर बेरी से मिलाने जिसके बेर हमने बहुत खाये  अपने बचपन में वो भी अपने स्कूल के लंच टाइम में जाकर उन्हे तोड़कर


ये बात है  2006 और उसके दीगर सालों की जब  हम कक्षा 6 से दाखिला लेकर कक्षा 10 तक अपने शहर में बने एक सरकारी स्कूल में पड़ते थे , सरकारी होने की वजह से वहाँ कोई खास पाबन्दी नहीं थी  और सर्दियों में सरकारी स्कूल का समय  सुबह 10 से शाम 4 बजे तक हो जाता है , जो भी पढ़ाई होती वो सिर्फ प्रार्थना होने के बाद के कुछ अंतराल तक होती उसके बाद जैसे जैसे सर्दी का प्रकोप बढ़ता जाता वैसे वैसे सारे अध्यापक आग के आगे बैठ कर अपने हाथ सेंकने लग जाते उसी के साथ बच्चों की भी चांदी हो जाती कुछ तो हाथ सेंकने बैठ जाते तो कुछ मुझ और मेरे दोस्तों जैसे बच्चें मोके का फायदा उठा कर स्कूल के पीछे बने जंगल में झर बेरी ले बेरो का मजा लूटने चले जाते


दरअसल मेरा शहर जो की धीरे धीरे  उन्नति की और बढ़ रहा था, जिसके चलते वहाँ अभी भी बहुत से ऐसे जंगल थे  जहाँ बा आसानी झर बेरी देखने को मिल जाती थी  और उसी का फायदा हम सब उठाते थे 

उन छोटी छोटी झर बेरियो पर लगे छोटे छोटे सेब के आकार के बेर जो की खट्टे मीठे होते थे , जिन्हे तोडना आसान भी था और मुश्किल भी तोडना इसलिए आसान था क्यूंकि वो बहुत नजदीक लगे होते थे  लेकिन एक समस्या थी उन्हे तोड़ने के लिए अपने हाथो को कुर्बान करना पड़ता था, कुर्बान से मतलब उन्हे काँटों के बीच से गुज़ारना पड़ता था ताकि अच्छे अच्छे बेर तोड़े जा सके  और उनका लुत्फ़ उठाया जाए


थोड़ी ही देर में हम सब बच्चें इतने बेर इकठ्ठे कर लेते की अगर बेचा जाता तो बिक भी जाते

उन का स्वाद आज भी मेरी जुबान पर है , यादों के झरोखे के माध्यम से उनके बारे में लिखने का मौका मिला और उसी के साथ साथ मुँह में पानी भी आ गया 



ऐसे ही किसी अन्य यादगार लम्हें को आपसब के साथ साँझा करने फिर आऊंगा तब तक के लिए अलविदा


यादों के झरोखे से 

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6 Comments

Gunjan Kamal

17-Dec-2022 09:16 PM

शानदार

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Muskan khan

13-Dec-2022 05:22 PM

Wonderful

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Muskan khan

13-Dec-2022 05:22 PM

Wonderful

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